विवेक गुलाटी
एक साल पहले यह थी OC की पुकार । सब बिजी रिटायर्ड लोगों को save the date की आ गई जानकारी। एक साल पहले… यह हुआ पहली बार । ४२ का आंकड़ा था रिकॉर्ड अभी तक पर Oc की मेहनत रंग लाई और रीयूनियन में आनेवालों की संख्या ५० के पार पहुंचाई । खैर, हमारी उम्र का तक़ाज़ा कहो या बदनसीबी कि ८ घट कर ४६ हुए जोधपुर में इकठ्ठे – जो की एक नया कीर्तिमान बना ।जैसे- जैसे साल महीनों और महीने दिनों में बदलने लगे,हलचल बढ़ने लगी और पटने -पटाने की रोचक वार्तालाप शुरू हो गई । धीरे – धीरे उम्र का चोगा उतरने लगा और नटखटपन छलकने लगा । एक दूसरे की टांग खींचना और व्यंग्य कसने की शुरुवात हो गई थी ।

१३ नवंबर की सुबह १३ दोस्तों का पहला जत्था रोहतगढ़ पहुँचा, पहले वैकल्पिक अतिरिक्त दिन के लिए यह भी नया रिकॉर्ड बन गया । १४ को बाक़ी सारे पहुँच गए, वही मस्ती, हँसी मज़ाक और सबके साथ फोटो खिचवाने की होड़ । दिन कैसे कटा पता भी नहीं चला, शाम को लाइन लगवा कर हर एक को बढ़िया बैग मिला जिसमे आकर्षक जोधपुरी जैकेट, सुंदर सा हाथों से बुना हुआ मफ़लर, tohl का बेहतरीन क्वालिटी वाला उपहार – जिसकी आदत सी पड़ गई है, हमारी जानी मानी लेखिका की रचित पुस्तक।एक ग्रुप फोटो के पश्चात स्कूल बस में बैठकर हम लोग जंगल सफारी की ओर चल पड़े । वही गाने दोहराते हुए हम लोग जंगल के बीच पहुंचे जहाँ ऊँट गाड़ी हमारा इंतज़ार कर रही थी और उसकी सवारी का मजा लेते हुए हम पहुँचे जंगल के बीच जहाँ बहुत ही आकर्षक ढंग से सजावट करी गई थी और प्रतिभाशाली कलाकार नृत्य एवं संगीत का प्रदर्शन कर रहे थे । खुले आसमान के नीचे, जंगल के बीच- एक अद्भुत अनुभूति के साथ वो शाम बीती। इस विशेष अनुभव के लिए मैं बैच ऑफ़ ८० की ओर से OC को तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ ।

आखरी शाम का मुख्य आकर्षण था हमारी सखी दीपा का जन्मदिन,जोधपुरी जैकेट पहन कर फोटो सेशन और हमारे बिछड़ गए प्रिय दोस्तों को श्रद्धांजलि । डॉनी, अरविंद और प्रीति और दोस्तों की तरह हमेशा हमारे दिल में रहेंगे । संजीदगी भरे माहौल से हम बड़े जन्मदिन व ४५ रीयूनियन का केक काटने की ओर । फिर चला अपने समय का मशहूर संगीत और थिरके सबके पाँव । travolta और भांगड़ा का ऐसा दौर चला जो की देर रात अपनी पारंपरिक ट्रेन वाले नृत्य के साथ समाप्त हुआ।

वक्त पूरा हो चला था पर हमेशा की तरह दिल अभी भरा नहीं था । बार बार गले मिलकर जल्द मिलने के वायदे के साथ सब विदा हुए । आज भी इतने दिन बाद जब भी उन दिनों की याद आती है तो चेहरे पर मीठी सी मुस्कुराहट और दिल में अगली मुलाक़ात की कसक जगती है ।
